जीवन में एक
सितारा था
माना वह बेहद
प्यारा था
वह डूब गया
तो डूब गया
अम्बर के आंगन
को देखो
कितने इसके तारे
टूटे
कितने इसके प्यारे
छूटे
जो छूट गए
फिर कहां मिले
पर बोलो टूटे
तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता
है
जो बीत गयी
सो बात गयी
जीवन में वह
था एक कुसुम
थे उस पर
नित्य निछावर तुम
वह सूख गया
तो सूख गया
मधुवन कि छाती
को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझायी कितनी बल्ल्रियाँ
जो मुरझायी वोह फिर
कहां खिली
पर बोलो सूखे
फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता
है
जो बीत गयी
सो बात गयी
जीवन मे मधु
का प्याला था
तुमने तन मन
दे डाला था
वह टूट गया
तो टूट गया
मदिरालय के आंगन
को देखो
कितने प्याले हिल जाते
हैं
गिर मिटटी मैं मिल
जाते हैं
जो गिरते हैं कब
उठते हैं
पर बोलो टूटे
प्यालो पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गयी
सो बात गयी
मृदु मिटटी के हैं
बने हुए
मधु घुट फूटा
ही करते हैं
लघु जीवन लेकर
आये हैं
प्याले टूटा ही
करते हैं
फिर भी मदिरालय
के अन्दर
मधु के घट
है मधु प्याले
हैं
जो मादकता के मारे
हैं
वे मधु लूटा
ही करते हैं
वो कच्चा पीने वाला
है
जिसकी ममता घट
प्यालों पर
जो सच्चे मधु से
जला हुआ
कब रोता है
चिल्लाता है
जो बीत गयी
सो बात गयी
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